West Bengal: Prime Minister Modi And Chief Minister Mamata Banerjee Contest Elections, Everyone Else Leaves Clear – पश्चिम बंगाल: प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लड़े चुनाव, बाकी सबका हो गया पत्ता साफ

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शशिधर पाठक, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Sun, 02 May 2021 09:48 PM IST

सार

बंगाल में दीदी बनाम पश्चिम बंगाल की अस्मिता ने बदल दिया सारा गणित। पार्थ चटर्जी कहते हैं कि जाने कैसे भाजपा चुनाव जीतने की सोच रही थी। इसी तरह फुरफुरा शरीफ हुए बेदम, सीपीएम, कांग्रेस का खाता नहीं खुला। 
 

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : amar ujala graphic

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हार हो या जीत। पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लड़ीं। टीएमसी के बड़े नेता पार्थ चटर्जी कहते हैं कि ममता बनर्जी चुनाव जीत गईं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हार गए। टीएमसी के एक और रणनीतिकार कहते हैं कि चुनाव में लड़ी भी केवल दो ही पार्टियां। बाकी सभी का पत्ता साफ हो गया। सीपीएम, कांग्रेस का खाता नहीं खुला। फुरफुरा शरीफ की पार्टी भी बेदम साबित हो गई। 

भाजपा की पश्चिम बंगाल महिला मोर्चा की अध्यक्ष अग्निमित्रा पॉल कहती हैं कि सभी दल चुनाव में लड़े होते तो नतीजा कुछ और होता। लग रहा है कि भाजपा के नेताओं को कांग्रेस के दमखम के साथ राज्य विधानसभा चुनाव न लड़ने का बड़ा मलाल है। 

विजयवर्गीय ने कहा-विपक्ष में बैठेंगे
फिलहाल भाजपा के प्रभारी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पार्टी के दूसरे नंबर पर आने, विपक्ष में बैठने की भूमिका से संतोष कर लिया है। पार्टी के राज्य उपाध्यक्ष राज कमल पाठक कहते हैं कि चुनाव का नतीजा निराशाजनक है। जनता ने तृणमूल से आने वाले दागी नेताओं को नहीं जिताया। जो तृणमूल छोड़कर आए थे, उनका भी प्रभाव कम दिखा। मतगणना का पूरा नतीजा आने दीजिए, समीक्षा होगी।

ऐसे ही नतीजे की उम्मीद थी : शांतनु बनर्जी
शांतनु बनर्जी कहते हैं कि हमें तो इसी तरह का नतीजा आने की उम्मीद थी। लेकिन बड़ी बात यह है कि भाजपा न केवल विधानसभा में दूसरे नंबर की पार्टी होगी, बल्कि उसके 70 के करीब विधायक होंगे। भाजपा के नेताओं को इस स्थिति पर थोड़ा इतराना चाहिए। शांतनु कहते हैं कि आप को चौंक जाना चाहिए। पश्चिम बंगाल में अभी तक वामदलों, कांग्रेस और फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी का खाता तक नहीं खुला है।  

ममता के लोकल कनेक्ट को तोड़ना आसान नहीं
तृणमूल के धाकड़ नेताओं में अमित मित्रा, एसके सिन्हा सरीखें हैं। यह नेता अमर उजाला से पहले दिन से कहते आ रहे हैं कि भाजपा चाहे जितना जोर लगा ले, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लोकल कनेक्ट को तोड़ पाना आसान नहीं है। 

तृणमूल के प्रवक्ता विवेक गुप्ता ने अमर उजाला को बताया कि शुरू से गणित तृणमूल के पक्ष में था। तृणमूल के एक नेता कहते हैं कि आखिर चुनाव अभियान के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ऐसे ही इतना खम ठोंक कर नहीं कह रहे थे। बताते हैं कि पांचवें चरण के बाद केंद्रीय एजेंसियों ने भी जरूर भाजपा के शीर्ष नेताओं को जमीनी हकीकत का एहसास करा दिया था।

विस्तार

हार हो या जीत। पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लड़ीं। टीएमसी के बड़े नेता पार्थ चटर्जी कहते हैं कि ममता बनर्जी चुनाव जीत गईं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हार गए। टीएमसी के एक और रणनीतिकार कहते हैं कि चुनाव में लड़ी भी केवल दो ही पार्टियां। बाकी सभी का पत्ता साफ हो गया। सीपीएम, कांग्रेस का खाता नहीं खुला। फुरफुरा शरीफ की पार्टी भी बेदम साबित हो गई। 

भाजपा की पश्चिम बंगाल महिला मोर्चा की अध्यक्ष अग्निमित्रा पॉल कहती हैं कि सभी दल चुनाव में लड़े होते तो नतीजा कुछ और होता। लग रहा है कि भाजपा के नेताओं को कांग्रेस के दमखम के साथ राज्य विधानसभा चुनाव न लड़ने का बड़ा मलाल है। 

विजयवर्गीय ने कहा-विपक्ष में बैठेंगे

फिलहाल भाजपा के प्रभारी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पार्टी के दूसरे नंबर पर आने, विपक्ष में बैठने की भूमिका से संतोष कर लिया है। पार्टी के राज्य उपाध्यक्ष राज कमल पाठक कहते हैं कि चुनाव का नतीजा निराशाजनक है। जनता ने तृणमूल से आने वाले दागी नेताओं को नहीं जिताया। जो तृणमूल छोड़कर आए थे, उनका भी प्रभाव कम दिखा। मतगणना का पूरा नतीजा आने दीजिए, समीक्षा होगी।

ऐसे ही नतीजे की उम्मीद थी : शांतनु बनर्जी

शांतनु बनर्जी कहते हैं कि हमें तो इसी तरह का नतीजा आने की उम्मीद थी। लेकिन बड़ी बात यह है कि भाजपा न केवल विधानसभा में दूसरे नंबर की पार्टी होगी, बल्कि उसके 70 के करीब विधायक होंगे। भाजपा के नेताओं को इस स्थिति पर थोड़ा इतराना चाहिए। शांतनु कहते हैं कि आप को चौंक जाना चाहिए। पश्चिम बंगाल में अभी तक वामदलों, कांग्रेस और फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी का खाता तक नहीं खुला है।  

ममता के लोकल कनेक्ट को तोड़ना आसान नहीं

तृणमूल के धाकड़ नेताओं में अमित मित्रा, एसके सिन्हा सरीखें हैं। यह नेता अमर उजाला से पहले दिन से कहते आ रहे हैं कि भाजपा चाहे जितना जोर लगा ले, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लोकल कनेक्ट को तोड़ पाना आसान नहीं है। 

तृणमूल के प्रवक्ता विवेक गुप्ता ने अमर उजाला को बताया कि शुरू से गणित तृणमूल के पक्ष में था। तृणमूल के एक नेता कहते हैं कि आखिर चुनाव अभियान के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ऐसे ही इतना खम ठोंक कर नहीं कह रहे थे। बताते हैं कि पांचवें चरण के बाद केंद्रीय एजेंसियों ने भी जरूर भाजपा के शीर्ष नेताओं को जमीनी हकीकत का एहसास करा दिया था।


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