West Bengal: How Didi Can Remain Chief Minister Despite Losing Nandigram, Mamata Banerjee – बंगाल: नंदीग्राम सीट पर हारीं ममता बनर्जी, अब कैसे बनेंगी मुख्यमंत्री, जानें क्या है नियम

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीप्ति मिश्रा
Updated Mon, 03 May 2021 08:14 AM IST

सार

टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी चुनाव हार गईं। ऐसे में सबके मन में यह सवाल है कि अब वे मुख्यमंत्री कैसे बनेंगी। आइए आपको बताते हैं कि चुनाव हारने के बावजूद मुख्यमंत्री कैसे बना जा सकता है, क्या है इसका नियम…

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
– फोटो : PTI

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पश्चिम बंगाल का चुनावी संग्राम अब थम गया है। बंगाल विधानसभा चुनाव में ‘खेला’ हो गया। भाजपा की सारी रणनीति धरी रह गई और ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने एक बार फिर बहुमत से सत्ता में वापसी कर ली। बंगाल की जीत को लेकर खीर में नमक आने से जैसी स्थिति उस वक्त बन गई, जब पता चला कि पार्टी जीत गई, लेकिन टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव हार गईं। ऐसे में सबके मन में यह सवाल है कि अब वे मुख्यमंत्री कैसे बनेंगी। आइए आपको बताते हैं कि चुनाव हारने के बावजूद मुख्यमंत्री कैसे बना जा सकता है, क्या है इसका नियम…

बंगाल की नंदीग्राम विधानसभा सीट से ममता बनर्जी के सामने उनके पूर्व सहयोगी और भाजपा प्रत्याशी सुवेंदु अधिकारी मैदान में थे। सुवेंदु अधिकारी ने 1957 वोटों से ममता बनर्जी को हरा दिया। नंदीग्राम से ममता बनर्जी चुनाव हार गईं, लेकिन राज्य में उनकी पार्टी ने तीसरी बार बहुमत से सत्ता में वापसी की है। ऐसे में लोगों के मन में एक सवाल है कि अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमत्री कैसे बनेगी और कैसे वहां की सत्ता संभालेगी?

हार कर भी बन सकते हैं सीएम, ये है नियम
मुख्यमंत्री बनने के लिए यूं तो विधानसभा या विधान परिषद (जिन राज्यों में दो सदन हैं) का सदस्य होना जरूरी है। अगर विधानसभा या विधान परिषद सदस्य नहीं है, तो शपथ लेने के छह माह के भीतर सदस्य बनना जरूरी होता है। नियमों के मुताबिक, मुख्यमंत्री पद की शपथ बिना विधायक रहते ली जा सकती है। इसके बाद मुख्यमंत्री को छह महीने का वक्त मिलता है। इस तय समय सीमा के अंदर उनका विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ेगा।

        सीएम बनने वाले नेता                   राज्य 

  • उद्धव ठाकरे                               महाराष्ट्र
  • लालू प्रसाद यादव                       बिहार 
  • योगी आदित्यनाथ                        उत्तर प्रदेश
  • नीतीश कुमार                             बिहार
  • राबड़ी देवी                                 बिहार
  • कमलनाथ                                  मध्यप्रदेश
  • तीरथ सिंह रावत                          उत्तराखंड

दीदी ने हार स्वीकारी, लेकिन दिखाए तेवर
बता दें कि ममता बनर्जी कड़े मुकाबले में सुवेंदु अधिकारी से 1957 वोटों से हार गई हैं। उन्होंने अपनी हार स्वीकार कर ली। लेकिन साथ ही आरोप लगाया कि पहले उन्हें जीता हुआ घोषित किया गया और बाद में दबाव में आकर चुनाव आयोग ने फैसला पलट दिया। बंगाल में टीएमसी की जीत के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि नंदीग्राम के बारे में चिंता मत करो। नंदीग्राम के लोग जो भी जनादेश देंगे, मैं उसे स्वीकार करती हूं। मुझे कोई आपत्ति नहीं है। हमने 221 से अधिक सीटें जीतीं और भाजपा चुनाव हार गई। मैं जनादेश को स्वीकार करती हूं, लेकिन मैं न्यायालय जाऊंगी क्योंकि मुझे जानकारी है कि परिणामों की घोषणा के बाद कुछ हेरफेर की गई और मैं उसका खुलासा करूंगी।

विस्तार

पश्चिम बंगाल का चुनावी संग्राम अब थम गया है। बंगाल विधानसभा चुनाव में ‘खेला’ हो गया। भाजपा की सारी रणनीति धरी रह गई और ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने एक बार फिर बहुमत से सत्ता में वापसी कर ली। बंगाल की जीत को लेकर खीर में नमक आने से जैसी स्थिति उस वक्त बन गई, जब पता चला कि पार्टी जीत गई, लेकिन टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव हार गईं। ऐसे में सबके मन में यह सवाल है कि अब वे मुख्यमंत्री कैसे बनेंगी। आइए आपको बताते हैं कि चुनाव हारने के बावजूद मुख्यमंत्री कैसे बना जा सकता है, क्या है इसका नियम…

बंगाल की नंदीग्राम विधानसभा सीट से ममता बनर्जी के सामने उनके पूर्व सहयोगी और भाजपा प्रत्याशी सुवेंदु अधिकारी मैदान में थे। सुवेंदु अधिकारी ने 1957 वोटों से ममता बनर्जी को हरा दिया। नंदीग्राम से ममता बनर्जी चुनाव हार गईं, लेकिन राज्य में उनकी पार्टी ने तीसरी बार बहुमत से सत्ता में वापसी की है। ऐसे में लोगों के मन में एक सवाल है कि अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमत्री कैसे बनेगी और कैसे वहां की सत्ता संभालेगी?

हार कर भी बन सकते हैं सीएम, ये है नियम

मुख्यमंत्री बनने के लिए यूं तो विधानसभा या विधान परिषद (जिन राज्यों में दो सदन हैं) का सदस्य होना जरूरी है। अगर विधानसभा या विधान परिषद सदस्य नहीं है, तो शपथ लेने के छह माह के भीतर सदस्य बनना जरूरी होता है। नियमों के मुताबिक, मुख्यमंत्री पद की शपथ बिना विधायक रहते ली जा सकती है। इसके बाद मुख्यमंत्री को छह महीने का वक्त मिलता है। इस तय समय सीमा के अंदर उनका विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ेगा।

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