Rapid Response Team Of Gmch-32 Hospital  works 24 Hours In Chandigarh – धरती के भगवान: खाना-पीना छोड़ लोगों के सवालों का जवाब देने में जुटे डॉक्टर, 24 घंटे काम पर डटी रैपिड रिस्पांस टीम 

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सार

जीएमसीएच-32 में ड्यूटी देने वाले डॉक्टर अस्पताल में मरीजों को भी देख रहे हैं और फिर हेल्पलाइन सेंटर में आकर लोगों की समस्याएं भी सुन रहे हैं। घर-परिवार, भूख-प्यास छोड़ इन दिनों लोगों की जान बचाने में पूरी टीम लगी हुई है।
 

जीएमसीएच 32 में काम में जुटी रैपिड रिस्पांस टीम।
– फोटो : अमर उजाला

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चंडीगढ़ के सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल सेक्टर 32 के रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) के कमरे में 24 घंटे फोन की घंटी बजती रहती है। डॉक्टर एक फोन उठाते हैं, तब तक दूसरा कॉल वेटिंग में होता है। ये क्रम 24 घंटे जारी रहता है। यहां ड्यूटी देने वाले डॉक्टर अस्पताल में मरीजों को भी देख रहे हैं और फिर हेल्पलाइन सेंटर में आकर लोगों की समस्याएं भी सुन रहे हैं। घर-परिवार, भूख-प्यास छोड़ इन दिनों लोगों की जान बचाने में पूरी टीम लगी हुई है।

अमर उजाला ने जीएमसीएच-32 में कोरोना संक्रमितों की मदद के लिए बनाए गए हेल्पलाइन सेंटर का जायजा लिया। यहां दो मोबाइल, एक लैंडलाइन और वीडियो कॉल के लिए दो कंप्यूटर हैं। मोबाइल और लैंडलाइन पूरे समय बजते रहे हैं। हर कोई फोन सुनता ही नजर आता है। यहां काम कर रहे डॉक्टरों को फोन सुनते हुए ही कुछ खाना और पीना पड़ता है। लोगों के सवालों के जवाब देने के लिए शिफ्ट के अनुसार 24 घंटे डॉक्टर व डाटा ऑपरेटर तैनात रहते हैं। 

फोन करने वाले सिर्फ चंडीगढ़ ही नहीं बल्कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत कई अन्य राज्यों के हैं। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों ने बताया कि कोरोना के नए प्रकार से लोग काफी सहमे हुए हैं। वह पेट दर्द होने पर भी डर जाते हैं और हेल्पलाइन पर फोन कर जानकारी मांगते हैं। फोन करने के बाद उन्हें समझाया जाता है और अगर किसी दवाई की जरूरत होती है, तो वह भी बताई जाती है। डॉक्टरों ने बताया कि ज्यादातर संक्रमित डर की वजह से फोन करते हैं। हालांकि जब उन्हें समझाया जाता है तो वह काफी राहत महसूस करते हैं, जिससे उन्हें जल्दी ठीक होने में भी मदद मिलती है।

रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) में दिन के समय तीन डॉक्टर तैनात रहते हैं, जबकि शाम 5 बजे के बाद दो डॉक्टर हो जाते हैं। एक दिन में जीएमसीएच-32 में 500 के करीब फोन आते हैं। ज्यादातर फोन जानकारी लेने के लिए होते हैं। हालांकि जिन मरीजों को तुरंत देखने की जरूरत होती है तो उन्हें वीडियो कॉल किया जाता है। इसके बाद अगर अस्तपाल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है तो एंबुलेंस भेजकर बुलाया जाता है। 

डॉक्टरों ने बताया कि कोरोना के मरीजों के बढ़ने के बाद बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर आदि की पूछताछ के लिए भी कॉल आ रही हैं। अन्य राज्यों से भी कॉल करने वाले मरीजों की सहायता की जाती है। उन्हें दवाइयां बताई जाती हैं और अगर मरीज गंभीर अवस्था में होता है तो उन्हें पास के अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी जाती है। देश में इस समय धरती पर ‘भगवान’ का दर्जा हासिल कर चुके इन डॉक्टरों की सेवा भावना की हर तरफ तारीफ हो रही है। खुद और अपने परिवार की चिंता छोड़ कर डॉक्टर जी-जान से दूसरों की सेवा में लगे हुए हैं।

जीएमसीएच-32 हेल्पलाइन की मदद के लिए इन नंबरों पर करें कॉल

  • 9646121511
  • 0172-2501303
  • 9646121642

वीडियो कॉल नंबर

विस्तार

चंडीगढ़ के सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल सेक्टर 32 के रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) के कमरे में 24 घंटे फोन की घंटी बजती रहती है। डॉक्टर एक फोन उठाते हैं, तब तक दूसरा कॉल वेटिंग में होता है। ये क्रम 24 घंटे जारी रहता है। यहां ड्यूटी देने वाले डॉक्टर अस्पताल में मरीजों को भी देख रहे हैं और फिर हेल्पलाइन सेंटर में आकर लोगों की समस्याएं भी सुन रहे हैं। घर-परिवार, भूख-प्यास छोड़ इन दिनों लोगों की जान बचाने में पूरी टीम लगी हुई है।

अमर उजाला ने जीएमसीएच-32 में कोरोना संक्रमितों की मदद के लिए बनाए गए हेल्पलाइन सेंटर का जायजा लिया। यहां दो मोबाइल, एक लैंडलाइन और वीडियो कॉल के लिए दो कंप्यूटर हैं। मोबाइल और लैंडलाइन पूरे समय बजते रहे हैं। हर कोई फोन सुनता ही नजर आता है। यहां काम कर रहे डॉक्टरों को फोन सुनते हुए ही कुछ खाना और पीना पड़ता है। लोगों के सवालों के जवाब देने के लिए शिफ्ट के अनुसार 24 घंटे डॉक्टर व डाटा ऑपरेटर तैनात रहते हैं। 

फोन करने वाले सिर्फ चंडीगढ़ ही नहीं बल्कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत कई अन्य राज्यों के हैं। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों ने बताया कि कोरोना के नए प्रकार से लोग काफी सहमे हुए हैं। वह पेट दर्द होने पर भी डर जाते हैं और हेल्पलाइन पर फोन कर जानकारी मांगते हैं। फोन करने के बाद उन्हें समझाया जाता है और अगर किसी दवाई की जरूरत होती है, तो वह भी बताई जाती है। डॉक्टरों ने बताया कि ज्यादातर संक्रमित डर की वजह से फोन करते हैं। हालांकि जब उन्हें समझाया जाता है तो वह काफी राहत महसूस करते हैं, जिससे उन्हें जल्दी ठीक होने में भी मदद मिलती है।

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अन्य राज्यों के मरीजों के सवालों का भी दिया जाता है जवाब


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