उर्दू को लेकर बोले जावेद अख्तर, “भाषा मजहबों की नहीं होती, ये भारत की भाषा है”

जावेद अख्तर ‘हम अपनी भाषा हिंदी अगर ठीक से बोलते हैं तो लोग सोचते हैं कि ये आदमी बहुत मामूली है। ये बहुत खराब बात है। अगर आपको अपनी रीजनल भाषा नही आती, तो बहुत गलत है। जड़ नही रहेगी तो शाखें कैसे बचेंगी, पेड़ कैसे खड़ा रहेगा।

उर्दू को लेकर बोले जावेद अख्तर,
उर्दू को लेकर बोले जावेद अख्तर,


जावेद अख्तर ने आगे कहा की, ‘दुनियां में बहुत जगह पार्टीशन हुआ है और हर जगह माइनोरिटी बटवारा मांगती है, लेकिन पाकिस्तान इकलौता मुल्क है जहां मेजोरिटी ने अलग देश मांगा है जैसे बांग्लादेश बना क्योंकि उनको बंगला पढ़ना-लिखना था।’ उर्दू जुबान पर बोलते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि पंजाब का उर्दू में बड़ा योगदान है और ये भारत की भाषा है मगर आपने इस भाषा को क्यों छोड़ दिया?? बंटवारा होने की वजह से? पाकिस्तान बनने की वजह से? हमें उर्दू भाषा पर भी ध्यान देना चाहिए। पहले हिंदुस्तान ही था.. पाकिस्तान तो अब बना है… आजकल लोग उर्दू भाषा कम बोलते हैं। हिंदी भी कम बोलते हैं। इंग्लिश ज्यादा बोलते हैं।

जावेद अख्तर ने कहा की ‘भाषा मजहबों की नही, इलाकों की होती है। अगर भाषा मजहब पर होती तो पूरे यूरोप की भाषा एक होती। इसलिए भाषा मजहब की नही, इलाके की होती है।’ टू नेशन की गलत थी ये कहते हुए कि उर्दू मुस्लिम की जुबान है। क्या कृष्णचंद्र की जुबान उर्दू नही थी क्या केरला या तमिलनाडु के मुसलमान उर्दू बोलते हैं? वो उर्दू नही बोलते। 

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